नीतीश को JDU ने की भारत रत्न देने की मांग, कहीं रिटायरमेंट की तैयारी तो नहीं!

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पटना. नीतीश कुमार दो दशकों से बिहार के सीएम बने हुए हैं. गठबंधन की सरकार चलाने का सर्वाधिक अनुभव उनके पास है. तब भी वे भाजपा के साथ रहे, जब राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का सहयोगी बनने के लिए कोई तैयार नहीं था. उससे पहले केंद्र में मंत्री के रूप में उनकी भूमिका रही. बिहार में नीतीश के शासन को लोग सुशासन भी बताते रहे हैं. बिजली, पानी और सड़क जैसी ढांचागत सुविधाओं के विकास कार्यों की वजह से उन्हें कुछ लोग विकास पुरुष भी मानते रहे. कुछ लोगों का मानना है कि नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल हैं. ऐसा मानने वालों में जेडीयू नेता तो हैं ही, कभी आरजेडी के नेता भी ऐसा ही कहते थे. सहयोगियों को समय-समय पर बदल कर बिहार में सीएम की अपनी कुर्सी सलामत रखने वाले नीतीश कुमार को जेडीयू नेताओं ने हाल ही राजनीति का चाणक्य भी बताया. अब तो जेडीयू के लोग उन्हें भारत रत्न देने की मांग भी करने लगे हैं. अपवादों को छोड़ दिया जाए तो सामान्यतया रिटायरमेंट के बाद या मरणोपरांत ही भारत रत्न से अब तक लोगों को नवाजा गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नीतीश कुमार रिटायरमेंट की तैयारी में जुट गए हैं?

राजनीति की लंबी पारी रही है नीतीश की

वर्ष 1951 में जन्मे नीतीश कुमार 73 साल पूरे कर चुके हैं. वे अपनी सोशल इंजीनियरिंग की वजह से राजनीति के चाणक्य माने जाते हैं. नीतीश का राजनीति में प्रवेश जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से 1974 में हुआ. इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले नीतीश कुमार ने राजनीति को अपना करियर बनाया. नीतीश ने पहली बार 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था. हालांकि तब उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई थी. पहली बार वे साल 1985 में बिहार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. साल 1987 में नीतीश बिहार के युवा लोकदल के अध्यक्ष बने. 1989 में उन्हें जनता दल की बिहार इकाई का महासचिव बनाया गया.